सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

जुलाई, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मेरी फसल मेरा ब्यौरा वेब पोर्टल पर फसल पंजीकरण कैसे करें

 किसान साथियों आज का अपना विषय है, हरियाणा सरकार के सरकारी पोर्टल मेरी फसल मेरा ब्यौरा वेबसाइट पर किसान साथी फसल पंजीकरण कैसे करें। आज हम यह देखेंगे कि अपने मोबाइल फोन से किस प्रकार किसान साथी www.fasal.haryana.gov.in वेबसाइट को खोलेंगे और अपने खेत में बोई गई फसल का ब्यौरा उस पर अपडेट करेंगे। सभी साथी निम्नलिखित क्रमो के अनुसार चले- 1)किसान साथी अपने मोबाइल फोन पर गूगल क्रोम ब्राउजर को खोलें। 2) अब एड्रेस बार बजाएं और  fasal.haryana.gov.in टाइप करे। 3) मेरी फसल मेरा ब्योरा वेबसाइट खुलने के बाद, अब किसान अनुभाग पर क्लिक करें। 4) अब किसान पंजीकरण (हरियाणा)पर क्लिक करें। 5) अब किसान लॉगइन फॉर्म में अपना पंजीकृत मोबाइल नंबर डालें। और दिए गए कैप्चा कोड को नीचे वाले खाने में भरें। 6) अब आपके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आया होगा उसे नीचे दिए गए खाने में भरें। 7) ओटीपी सत्यापित करने के बाद आपका होम पेज आजाएगा। यहां अपनी जानकारी को वेरीफाई करें। 8) अपनी व्यक्तिगत जानकारी की पुष्टि करने के बाद  पेज को ऊपर की ओर स्क्रोल करें। व अपने बैंक खाते की जानकारी की पुष्टि करें। जारी रखें...

बाजरे की खेती

 बाजरा (Pearl Millet) भारत में एक प्रमुख अनाज है और भारतीय कृषि में बहुत अधिक महत्व रखता है। यह खेती विभिन्न भागों में विभाजित है और अनेक राज्यों में किया जाता है, जिसमें हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक शामिल हैं। बाजरे की खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण तत्व हैं: 1. भूमि का चयन: बाजरे की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी चयन करना आवश्यक है। बाजरे की खेती के लिए खारी और रेगुर मिट्टी उपयुक्त होती है। यह बेहद कम उच्चायी भूमि पर भी उगाया जा सकता है जिसमें बारिश जल संचयन करने की सुविधा होती है। 2. बीज की चुनाव: उच्च गुणवत्ता वाले बीज का चयन करें। आपके क्षेत्र के अनुसार विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए बीजों का उपयोग करें। 3. बुवाई का समय: बाजरे की बुवाई का समय मानसून के आगमन के बाद करना उचित होता है। ज्यादातर स्थानों पर जून से जुलाई के महीने में बुवाई की जाती है। 4. पानी प्रबंधन: बाजरे की उचित उपज के लिए अच्छा पानी प्रबंधन करना आवश्यक है। आप सिंचाई पद्धति का उपयोग करके पानी की आपूर्ति को सुनिश्चित कर सकते हैं। 5. खाद और कीटनाशक: उच्च उत्पादन ...

खेत के पानी की जांच

 खेत के पानी की जांच करने के लिए निम्नलिखित तरीकों का उपयोग किया जा सकता है: 1. उत्पादन नल का जांच करें: पहले चेक करें कि खेत पर पानी के लिए उत्पादन नल (ट्यूबवेल, कुँआ, नहर, आदि) विधिवत स्थापित है या नहीं। नल के उचित फ्लो द्वारा अगर पानी खेत तक पहुंच रहा है तो यह एक अच्छी जांच होगी। 2. जल गुणवत्ता की जांच करें: जल की गुणवत्ता के लिए उपलब्ध जल टेस्टिंग किट का उपयोग करें। इसके माध्यम से आप मूल उपज का जल संशोधन (pH), इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी, नित्रेट, फॉस्फेट, पोटेशियम, और अन्य महत्वपूर्ण पैरामीटर्स को माप सकते हैं। 3. पानी का रंग, गंध और दिखने की साफ़ता की जांच करें: पानी का रंग, गंध और साफ़ता भी जांचना महत्वपूर्ण है। यदि पानी धुंधला, गंध युक्त या अशुद्ध है, तो इसे उपयोग करने से पहले उपचार करना आवश्यक हो सकता है। 4. पानी के जलीय स्तर की जांच करें: खेत के पानी की जलीय स्तर का निर्धारण करने के लिए उपयुक्त पानी मापन उपकरण (पेचकश, जलीय मीटर, या स्प्रिंकलर सिस्टम) का उपयोग करें। जलीय स्तर खेत के पानी की उपयोगिता और पानी की व्यवस्था की दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है। 5. पानी की वार्षिक उपलब्ध...

खेत की तैयारी

   किसान साथियों आज का अपना विषय है खेत की फसल की बुवाई के लिए तैयारी। आज हम यहां बिना मशीनों की सहायता से किस प्रकार छोटे औजारों का इस्तेमाल करके अपने खेत को किसी फसल के लिए कैसे तैयार किया जाता है इसके बारे में जानेंगे।  1) खेत की जुताई जैसा कि हम सभी जानते हैं खेत की जुताई हल के द्वारा की जाती है किंतु आजकल बदलते हुए समय के साथ हमें वह पुराने हल देखने को नहीं मिलते। आज हम हाथ से चलने वाले छोटे हेलो से किस प्रकार जुताई करी जाती है वह देखते हैं।   2) खेत की बिजाई खेत की बिजाई के लिए विभिन्न प्रकार के यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। यहां हम देखेंगे कि छोटे से यंत्र के द्वारा कई प्रकार के बीजों की बिजाई की जा सकती है। इन यंत्रों को बिना किसी तेल इंधन के चलाया जा सकता है। अभी के लिए इतना ही अगली पोस्ट में जानेंगे अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों को तब तक के लिए धन्यवाद।

मिट्टी की जांच के तरीके

 खेत की मिट्टी की जांच करने के तरीके निम्नलिखित हो सकते हैं : 1. मिट्टी के फिजिकल पैरामीटर्स की जांच: यह मिट्टी की गुणवत्ता और पृथक्करण के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इसमें जैविक सामग्री, कीटाणु गतिविधि, पानी का प्रवाह, अलकलिनता या अम्लिकता, वायुप्रदूषण, गर्मी और ठंडी के परिवर्तन के लिए मिट्टी की प्रतिरोधकता आदि जांची जा सकती है। 2. मिट्टी के रासायनिक परीक्षण: रासायनिक परीक्षण के माध्यम से मिट्टी के प्रमुख तत्वों जैसे पीएच (pH), एनीओन और कैटान आयोनों, वायु और पानी संयोजन, कार्बन, नाइट्रोजन, पोटैशियम, फॉस्फेट आदि की मात्रा की जांच की जा सकती है। 3. मिट्टी के भौतिक गुणों की जांच: इसमें मिट्टी की संरचना, टेक्सचर, रंग, ग्रैन साइज़, सुष्मता, पोरोसिटी और जलसंरचना की जांच शामिल हो सकती है। 4. मिट्टी के पोषक तत्वों की जांच: मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों जैसे कि नाइट्रोजन, पोटैशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, बोरॉन, कॉपर, आदि की मात्रा की जांच की जा सकती है। 5. मिट्टी की उपयोगिता की जांच: इसमें मिट्टी की उपयोगिता के लिए जरूरी पैरामीटर्स जैसे नमी, जल द्रवता, वायु संचार, ज...

क्या है सरसों और क्यों महत्वपूर्ण है यह अपने जीवन में

सभी किसान भाइयों को राम राम। आज का अपना विषय है सरसों। सरसों के बीज से तेल निकाला जाता है और इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के भोजन बनाने व शरीर की मालिश करने में किया जाता है। इसका तेल आचार साबुन आदि बनाने में काम आता है। तेल निकाले जाने के बाद जो खली या खल हमें प्राप्त होता है वह हम अपने जानवरों और मवेशियों को खिलाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इस खल का उपयोग खाद के तौर पर भी किया जाता है।इसके सूखे डंठल को आग जलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और इसके हरे पत्तों से सब्जी भी बनाई जाती है। सरसों के बीज का उपयोग मसाले के रूप में भी किया जाता है। आयुर्वेद की दृष्टि में यह बहुत महत्वपूर्ण तिलहन की फसल है। सरसो खरीदे इसके तेल का प्रयोग कई प्रकार के चर्म रोगों से रक्षा करता है। सरसों का तेल   चरपरा , कड़वा और गर्म होता है यह अग्नि वर्धक होता है कई प्रकार की खुजली ,कोढया पेट के कीड़े आदि का नाश करता है इस प्रकार यह अनेकों घरेलू नुस्खा में भी काम आता है। जर्मनी जैसे देशों में तेल का उपयोग जैविक ईंधन के रूप में भी किया जाता है। सरसो तेल खरीदे आज के लिए इतना ही आशा करता हूं आपको यह...