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सिंचाई के लिए पोर्टेबल और फिक्स्ड ड्रिप सिंचाई प्रणाली

सिंचाई के लिए पोर्टेबल और फिक्स्ड ड्रिप सिंचाई प्रणाली  खेतों में फसलों को उचित मात्रा में पानी पहुंचाना एक महत्वपूर्ण कार्य है। पारंपरिक बाढ़ सिंचाई विधियों में पानी की बर्बादी होती है, जबकि ड्रिप सिंचाई प्रणाली एक जल-कुशल सिंचाई तकनीक है जो सीधे पौधों की जड़ों तक पानी पहुंचाती है। ड्रिप सिंचाई प्रणालियाँ दो प्रकार की होती हैं: पोर्टेबल और फिक्स्ड। पोर्टेबल ड्रिप सिंचाई प्रणाली यह एक लचीली सिंचाई प्रणाली है जिसे खेत में आसानी से स्थानांतरित किया जा सकता है। इसमें प्लास्टिक की ट्यूबिंग, ड्रिपर या एमिटर और एक फिल्टर शामिल होते हैं। ट्यूबिंग को पानी के स्रोत से जोड़ा जाता है और फसलों की कतारों के बीच जमीन पर रखा जाता है। ड्रिपर या एमिटर नियमित अंतराल पर ट्यूबिंग में डाले जाते हैं और धीमी गति से पानी छोड़ते हैं। पोर्टेबल ड्रिप सिंचाई प्रणाली स्थापित करने और निकालने में आसान होती है, जिससे यह छोटे खेतों या अनियमित आकार के खेतों के लिए उपयुक्त हो जाती है। फिक्स्ड ड्रिप सिंचाई प्रणाली यह एक स्थायी सिंचाई प्रणाली है जिसे खेत में स्थापित किया जाता है। इसमें भूमिगत पाइपलाइन, ड्रिपर ...

घीया की खेती

  घीया (लौकी) की खेती कैसे करें: भूमि चयन और तैयारी: जलवायु: घीया गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह से उगता है। 25-30°C का तापमान इसके लिए अनुकूल होता है। भूमि: दोमट मिट्टी, जिसमें जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो, घीया की खेती के लिए उपयुक्त होती है। खेती का समय: फसल के लिए: फरवरी-मार्च और जून-जुलाई बीज के लिए: दिसंबर-जनवरी भूमि तैयारी: खेत को अच्छी तरह से जोतकर समतल करें। गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट 10-15 टन प्रति हेक्टेयर की दर से डालें। उचित जल निकासी के लिए नाली बनाएं। किस्में: अधिक उपज वाली: पूसा लंबी, पूसा संपूर्ण, पूसा 88, अर्का बहार स्वादिष्ट: कठिया, देसी, चंद्रमा बुवाई: मचान बनाने के लिए बांस खरीदने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें मचान के लिए बांस बीज बोने का समय: फसल के लिए: फरवरी-मार्च और जून-जुलाई बीज के लिए: दिसंबर-जनवरी बीज बोने की विधि: 3-4 सेमी गहरे और 60-90 सेमी की दूरी पर बीज बोएं। प्रति गड्ढे में 2-3 बीज बोएं। बीज बोने के बाद हल्का सिंचाई करें। पौधों की देखभाल: पानी: नियमित रूप से सिंचाई करें, खासकर फूल आने औ...